________________ 000000000000000000000R विषय-शीर्षक गाथा सं. पृष्ठ सं. (गाथा-46) (गाथा-48) (गाथा-53) (गाथा-54) (गाथा-55) (गाथा-56) (गाथा-57) (गाथा-59) (गाथा-60) (गाथा-62) (गाथा-65) (गाथा-66) (गाथा-67) (गाथा-68) 37. नारक व तिर्यञ्चों में जघन्य व उत्कृष्ट अवधि 38. देवों में जघन्य-उत्कृष्ट अवधि-क्षेत्र 39. जघन्य-उत्कृष्ट, प्रतिपाती-अप्रतिपाती अवधि 40. जघन्य अवधिज्ञान के संस्थान (आकार) 41. मध्यम अवधिज्ञान का संस्थान 42. आनुगामिक-अनानुगामिक आदि अवधि 43. अवधिज्ञान की अवस्थिति 44. अवधि के ज्ञेय द्रव्य आदि की वृद्धि-हानि 45. अवधिज्ञान के स्पर्द्धक और उनके प्रकार 46. अवधिज्ञान का उत्पाद व प्रतिपात 47. देवों में साकार-अनाकार, सम्यक् व विभङ्ग ज्ञान 48. आभ्यन्तर व बाह्य अवधिज्ञान 49. क्षेत्र की अपेक्षा से सम्बद्ध-असम्बद्ध अवधि 50. अवधिज्ञानियों में पूर्वप्रतिपन्न, प्रतिपद्यमान (ऋद्धि-कथन प्रतिज्ञा) 51. आमौषधि आदि लब्धियां 52. वासुदेव की सामर्थ्य 53. चक्रवर्ती की सामर्थ्य 54. तीर्थंकरकी सामर्थ्य 12RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR222222222222222. (गाथा-69) (गाथा-71) (गाथा-73) (गाथा-75) [मनापर्ययज्ञान] 55. (संज्ञी) जीवों के चिन्त्यमान वस्तुओं का ज्ञान 56. मनःपर्ययज्ञान के भेद, विषय-क्षेत्र, स्वामी (गाथा-76) (गाथा-16) [केवलज्ञान] 57. केवलज्ञान का स्वरूप (गाथा-n) 58. केवली (तीर्थंकर) का वचनयोग (प्रज्ञापनीय देशना) (गाथा-78) 297 59. पांच ज्ञानों में श्रुतज्ञान ही अधिकृत (गाथा-79) [ज्ञानपंचक रूप नन्दी (पूर्वपीठिका) समाप्त] 30002020 20 CROSORRORREE