SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ cacacacacacace श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 200000 9. भरतक्षेत्र 9. अर्द्ध मास। 232223232223333333333333333333322222222222222 10. जम्बूद्वीप 10. एक मास से कुछ अधिक। 68 11. अढ़ाई द्वीप 11. एक वर्ष। 12. रुचक द्वीप 12. पृथक्त्व वर्ष (दो से नौ वर्ष तक) 13. संख्यात द्वीप 13. संख्यात काल। & 14. संख्यात व असंख्यात द्वीप एवं समुद्रों की भजना 14. पल्योपमादि असंख्यात काल। a (अर्थात् संख्यात भी असंख्यात भी, एकदेश भी) दिगम्बर परम्परा में भी षट्खण्डागम (पुस्तक-13) में अवधिज्ञान के क्षेत्र को लेकर विचार , किया गया है, जो कुछ अंशों में श्वेताम्बर परम्परा से भिन्नता रखता है। तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन करने वालों के लाभार्थ एक तालिका नीचे दी जा रही हैक्षेत्र-अपेक्षा काल-अपेक्षा उत्सेधांगुल का असंख्यातवां भाग आवलिका का असंख्यातवां भाग उत्सेधांगुल का संख्यातवां भाग आवलिका का संख्यातवां भाग अंगुलमात्र अन्तरावलिका . .. अंगुलपृथक्त्व आवलिका हस्तप्रमाण आवलिका पृथक्त्व 1 गव्यूत साधिक उच्छ्वास 1योजन अन्तर्मुहूर्त . 25 योजन अन्तर्दिवस भरतक्षेत्र अर्धमास जम्बूद्वीप साधिक मास मनुष्यक्षेत्र एक वर्ष रुचक द्वीप वर्षपृथक्त्व संख्येय द्वीपसमुद्र संख्येय वर्ष असंख्येय द्वीपसमुद्र असंख्येय वर्ष 196 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)ce@900
SR No.004277
Book TitleAvashyak Niryukti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumanmuni, Damodar Shastri
PublisherSohanlal Acharya Jain Granth Prakashan
Publication Year2010
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy