________________ -RRRRRRRRR 9999999999900 नियुक्ति गाथा-26 (हरिभद्रीय वृत्तिः) साम्प्रतं सामान्यरूपतया उद्दिष्टानां अवधिप्रकृतीनां वाचः क्रमवर्त्तित्वाद् आयुषश्चाल्पत्वात & यथावभेदेन प्रतिपादनसामर्थ्यमात्मनोऽपश्यन्नाह सूत्रकारः (नियुक्तिः) कत्तो मे वण्णेउं, सत्ती ओहिस्स सव्वपयडीओ?। चउदसविहनिक्खेवं, इड्डीपत्ते य वोच्छामि // 26 // [संस्कृतच्छायाः-कुतो मे वर्णयितुं शक्तिः, अवधेः सर्वप्रकृतीः। चतुर्दशविघनिक्षेपम् ऋद्धिप्राप्तांश्च वक्ष्ये // ] . (वृत्ति-हिन्दी-) अब, चूंकि अवधि की सामान्य रूप से नाम-निर्दिष्ट प्रकृतियों का , कथन वाणी से क्रमपूर्वक ही सम्भव है और आयु अल्प है, इसलिए सभी भेदों के साथ उसे , C प्रतिपादित करने की अपनी सामर्थ्य को नहीं देखते हुए सूत्रकार आगे कह रहे हैं (26) (नियुक्ति-अर्थ-) अवधिज्ञान की समस्त प्रकृतियों (भेदों) को वर्णन करने की शक्ति / मुझ में कहां है? (तथापि) अवधिज्ञान के चौदह निक्षेपों तथा ऋद्धिसम्पन्न (व्यक्तियों) का , निरूपण करूंगा। & (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) कुतो? 'मे' मम, वर्णयितुंशक्तिः अवधेः सर्वप्रकृतीः?,आयुषः परिमितत्वाद् , वाचः क्रमवृत्तित्वाच्च, तथापि विनेयगणानुग्रहार्थम्, चतुर्दशविघश्चासौ निक्षेपश्चेति समासः, . व तम् अवधेः संबन्धिनम्, आमदैषध्यादिलक्षणा प्राप्ता ऋद्धियैस्ते प्राप्तर्द्धयः तांश्च इह . गाथाभङ्गभयाद् व्यत्ययः, अन्यथा निष्ठान्तस्य पूर्वनिपात एव भवति बहुव्रीहाविति।चशब्दः / समुच्चयार्थः। वक्ष्ये' अभिधास्ये, इति गाथार्थः // 26 // (वृत्ति-हिन्दी-) (व्याख्या-) (कुतो मे) अवधिज्ञान की समस्त प्रकृतियों (भेदों) का व वर्णन करने की सामर्थ्य मेरी कहां? क्योंकि आयु परिमित काल की होती है, वाणी भी क्रम * से ही प्रवृत्त होती है। फिर भी शिष्य-गणों पर अनुग्रह करने की दृष्टि से / चौदह प्रकार का जो 7 निक्षेप, वह है- चतुर्दशविधनिक्षेप। यहां चतुर्दशविध और निक्षेप -इन दोनों शब्दों का समास 333333333333333333333333333333333333333333333 @ @ @ @ @ @ @ @ @ @ @ @ @ 175