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________________ -Raceceectance 333333333333333333333333333333333333333 नियुक्ति गाथा-23 គ គ គ គ គ គ គ គ >> मलधारी हेमचन्द्र ने इसकी व्याख्या प्रकारान्तर से भी की है और इन गुणों को गुरु-सेवा से भी जोड़ा ce है। उनके मत में गुरु कुछ कार्य करने को कहे तो उसे शिष्य ठीक से सुनें, उस कार्य के विषय में प्रतिपृच्छा (पुनः प्रश्न) करें और फिर जो गुरु द्वारा कहा जाय, उसे सम्यक्तया श्रवण करें, उसे ग्रहण & करें, आदि आदि। ये गुण गुरु-सेवा में कार्यकारी (प्रभावक) होते हैं और उसका फल श्रुतज्ञान की ca प्राप्ति है। (द्र. विशेषा. भाष्य, गा. 561, शिष्यहिता टीका)। (हरिभद्रीय वृत्तिः) बुद्धिगुणा व्याख्याताः, तत्र शुश्रूषतीत्युक्तम्, इदानीं श्रवणविधिप्रतिपादनायाहमें नियुक्तिः) . मूअं हुंकारं वा, बाढकारपडिपुच्छवीमंसा। तत्तो पसंगपारायणं च परिणिट्ठ सत्तमए / 23 // [संस्कृतच्छायाः- मूकं हुंकारं वा बाढङ्कार-प्रतिपृच्छा-मीमांसाः। ततः प्रसङ्गपारायणं च परिनिष्ठा c& सप्तमके] . (वृत्ति-हिन्दी-) बुद्धि के गुणों का निरूपण हुआ। वहां श्रवण-इच्छा का उल्लेख है, . a अब उसी श्रवण की विधियों का प्रतिपादन (नियुक्तिकार) करने जा रहे हैं (23) a (नियुक्ति-अर्थ-) (1) मूक होकर सुनना, (2) हुंकार देना, (3) बाढंकार (यह ऐसा ही है, ऐसा कहना), (4) प्रतिपृच्छा (पुनः पूछना), (5) मीमांसा करना, उसके बाद, (6), प्रसंग-पारायण (सुने हुए विषय में पारंगत होना), और सातवां (7) परिनिष्ठा (कहे हुए को / पुनः कहने की भी क्षमता) (ये श्रवण-विधि के सात अंग हैं)। (हरिभद्रीय वृत्तिः) R (व्याख्या-) 'मूकमिति', मूकं शृणुयात्। एतदुक्तं भवति-प्रथमश्रवणे संयतगात्रः तूष्णीं खल्वासीत, तथा द्वितीये हुङ्कारं च दद्यात्, वन्दनं कुर्यादित्यर्थः।तृतीये बाढत्कारं (बालंकार), कुर्यात्, बाटमेवमेतत् नान्यथेति।चतुर्थश्रवणे तुगृहीतपूर्वापरसूत्राभिप्रायो मनाक् प्रतिपृच्छां, a कुर्यात् कथमेतदिति।पञ्चमे तुमीमांसां कुर्यात्, मातुमिच्छा मीमांसा प्रमाणजिज्ञासेतियावत्। ततः षष्ठे श्रवणे तदुत्तरोत्तरगुणप्रसङ्गः पारगमनं चास्य भवति।परिनिष्ठा सप्तमे श्रवणे भवति। एतदुक्तं भवति-गुरुवदनुभाषत एव सप्तमश्रवणे इत्ययं गाथार्थःR३॥ (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r) 165
SR No.004277
Book TitleAvashyak Niryukti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumanmuni, Damodar Shastri
PublisherSohanlal Acharya Jain Granth Prakashan
Publication Year2010
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size10 MB
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