________________ 222222222222223333333333322222222222222222222 cacacacacacaca श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 0000000 (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) आगमनं आगमः।आङ अभिविधिमर्यादार्यत्वाद् अभिविधिना मर्यादया . * वा गमः- परिच्छेद आगमः। स च केवलमत्यवधिमनःपर्यायलक्षणोऽपि भवति, . व अतस्तद्व्यवच्छित्त्यर्थमाह- शिष्यतेऽनेनेति शास्त्रं-श्रुतम्, आगमग्रहणं तु >> a षष्टितन्त्रादिकुशास्त्रव्यवच्छेदार्थ, तेषामनागमत्वात्, सम्यकपरिच्छेदात्मकत्वाभावादित्यर्थः, शास्त्रतया च रूढत्वात्।ततश्च आगमश्चासौ शास्त्रंच आगमशास्त्रं तस्य ग्रहणमिति समासः। गृहीतिम्रहणम्, यद्बुद्धिगुणैः वक्ष्यमाणलक्षणैः करणभूतैः अष्टभिः, दृष्टं, बुवते, श्रुतज्ञानस्य / लाभः श्रुतज्ञानलाभस्तम्, तदेव ग्रहणम्।बुवते, के?, पूर्वेषु विशारदाः पूर्वविशारदाः, विशारदा विपश्चितः, धीरा व्रतानुपालने स्थिराः, इत्ययं गाथार्थःR१॥ (वृत्ति-हिन्दी-) (व्याख्या-) आगम यानी आगमन / 'गम' का अर्थ है- परिच्छेद, . & आगम (ज्ञान)। 'आ' यह उपसर्ग है जिसका अभिविधि-मर्यादा (आरम्भिक सीमा) को अभिव्यक्त करता है। उक्त मर्यादा के साथ जो 'गम' (ज्ञान) होता है, वह 'आगम' है। उक्त , 'आगम' में अन्तर्गत केवल ज्ञान, मतिज्ञान, अवधिज्ञान व मनःपर्याय लक्षण भी घटित होते . हैं, अतः निराकरण हेतु (आगम के साथ-साथ) 'शास्त्र' कहा। शास्त्र यानी 'श्रुत' ज्ञान, . क्योंकि शास्त्र वह होता है जिससे शासित, शिक्षित किया जा सके। 'शास्त्र' के साथ-साथ 'आगम' के ग्रहण का प्रयोजन यह है कि षष्टितन्त्र (सांख्य) आदि जो कुशास्त्र हैं, उनका यहां ग्रहण न हो, क्योंकि वे अनागम हैं, आगम नहीं हैं, अर्थात् वे सम्यक्-ज्ञान रूप नहीं हैं / किन्तु शास्त्र रूप से (लोक में) रूढ़ (व्यवहृत) हैं। जो 'आगम' हो और वही 'शास्त्र' (भी) हो, (इस अर्थ में आगम व शास्त्र का कर्मधारय समास है), उसका ग्रहण यानी गृहीति।। व इस प्रकार (आगम शास्त्र का ग्रहण के साथ षष्ठी तत्पुरुष) समास है। जो आगे कहे जाने , वाले शास्त्र ग्रहण में करण (प्रमुख कारण) रूप बुद्धि-सम्बन्धी आठ गुणों द्वारा होना बताया है। ca गया है। उसे (ही) श्रुतज्ञान का लाभ होना कहते हैं। कौन कहते हैं? (उत्तर-) 'पूर्व' शास्त्रों से 4 में जो विशारद (पारंगत) विद्वान् हैं, और 'धीर' अर्थात् व्रत-पालन में स्थिरचित्त हैं (वे कहते . a हैं)। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ 21 || 162 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)cR@@@cR9900