________________ . स®®®®®®®®®®®®®®®®ce E प्रकाशकीय प्रस्तुत अनुवादित ग्रन्थ आवश्यक नियुक्ति आचार्य श्री भद्रबाहु विरचित कृति है तथा 8 इस नियुक्ति के साथ आचार्य हरिभद्र की संस्कृत टीका भी दी गई है। प्रस्तुत ग्रन्थ के मूल तथा इसकी संस्कृत टीका का हिन्दी में अनुवाद अब तक उपलब्ध है : नहीं था। पू. प्रवर्तक श्री जी म. के परिश्रम एवं प्रेरणा से यह साहित्य जगत् को उपलब्ध हुआ है। " फलतः हम उनके चिर आभारी हैं। साथ ही इसके प्रकाशन/वितरण का भी हमें अधिकार दिया, & गया है। इस ग्रन्थ के प्रकाशन में सर्वप्रथम प्रो. डॉ. दामोदर जी शास्त्री का साधुवाद किए बिना नहीं , * रह सकते, क्योंकि आगप, सिद्धान्त तथा तत्त्वों से पूर्ण ग्रन्थों का अनुवाद बड़ा श्रमसाध्य होता है। " & श्री शास्त्री जी ने यह महत् कार्य किया है। इसके (प्रथम भाग के) प्रकाशन का सम्पूर्ण अर्थ-सौजन्य श्री दीवानचन्द जैन (साढौरा , ce वालों) ने प्रदान किया है, एतदर्थ उनके हम आभारी हैं। अन्त में, इस ग्रन्थ की सम्पूर्ण कम्प्यूटर टाईप सेटिंग करने में श्री आनन्द शास्त्री (श्रुतगङ्गा / प्रकाशन) ने तथा इसके मुद्रण में श्री विष्णु व्यास (तिलोक प्रिटिंग प्रैस, बीकानेर) ने जो तत्परता ca दिखाई, उसके लिए वे भी साधुवाद के पात्र हैं। __ अशोक जैन व्यवस्थापक, आ. श्री सोहनलाल जैन सामग्री भंडार/प्रकाशन श्री महावीर जैन भवन, अम्बाला शहर (हरियाणा) 233333333333333333333333333333333333333333333 380868808880888088@BR@necR90@Reges प