________________ -RRRRRRRRce හ හ හ හ හ හ හ ග න * - 2322323233 23 नियुक्ति गाथा-१ मृषा भाषा के 10 भेद इस प्रकार हैं- (1) क्रोधनिःसृता (2) माननिःसृता, (3) मायानिःसृता, a (4) लोभनिःसृता, (5) प्रेय (राग)-निःसृता, (6) द्वेषनिःसृता, (7) हास्यनिःसृता, (8) भयनिःसृता, (9) a आख्यायिका-निःसृता, (10) उपघात-निःसृता। इनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है (1) क्रोधनिःसृता-क्रोधवश मुंह से निकली हुई भाषा, (2) माननिःसृता- पहले अनुभव न / ca किये हुए ऐश्वर्य का, अपना आत्मोत्कर्ष बताने के लिए कहना कि हमने भी एक समय ऐश्वर्य का a अनुभव किया था, यह कथन मिथ्या होने से मान-निःसृता है। (3) मायानिःसृता- परवंचना आदि के 4 अभिप्राय से निकली हुई वाणी। (4) लोभ निःसृता-लोभवश, झूठ तौल-नाप करके पूछने पर कहना है यह तौल-नाप ठीक प्रमाणोपेत है, ऐसी भाषा लोभनिःसृता है। (5) प्रेय (राग) निःसृता-किसी के प्रति a अत्यन्त रागवश कहना- 'मैं तो आपका दास हूं', ऐसी भाषा प्रेयनिःसृता है। (6) द्वेषनिःसृताद्वेषवश तीर्थकरादि का अवर्णवाद करना। (7) हास्यनिःसृता- हंसी-मजाक में झूठ बोलना। (8) भयनिःसृता- भय से निकली हुई भाषा। जैसे- चोरों आदि के डर से कोई अंटसंट या ऊटपटांग " a बोलता है, उसकी भाषा भयनिःसृता है। (9) उपघात-निःसृता- किसी कथा-कहानी के कहने में 2 सम्भव वस्तु का कथन करना। (10) उपघात-निःसृता- दूसरे केहृदय को उपघात (आघात-चोट) पहुंचाने की दृष्टि से मुख से निकाली हुई भाषा।जैसे- किसी पर अभ्याख्यान लगाना कि 'तू चोर है।' ca अथवा अन्धे को अंधा या काने को काना बोलना। ca सत्यामृषा भाषा के दस भेद इस प्रकार हैं- (1) उत्पन्न-मिश्रिता, (2) विगतामिश्रिता (3) m Ma उत्पन्नविगतमिश्रिता, (4) जीवमिश्रिता, (5) अजीवमिश्रिता (6) जीवाजीवमिश्रिता (7) अनन्तमिश्रिता, CM (8) प्रत्येक-मिश्रिता, (9)अद्धामिश्रिता, (10) अद्धाद्धामिश्रिता / इनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है . () उत्पन्नमिश्रिता- अनुत्पन्नों (जो उत्पन्न नहीं हुए हैं) के साथ संख्यापूर्ति के लिए उत्पन्नों & को मिश्रित करके बोलना / जैसे- किसी ग्राम या नगर में कम या अधिक शिशुओं का जन्म होने पर भी कहना कि आज इस ग्राम या नगर में दस शिशुओं का जन्म हुआ है। (2) विगतमिश्रिता-विगत का अर्थ है- विगत न हो, वह अविगत है। अविगतों (जीवितों) के साथ विगतों (मृतों) को संख्या की << पूर्ति हेतु मिला कर कहना / जैसे- किसी ग्राम या नगर में कम या अधिक वृद्धों के मरने पर भी ऐसे " ca कहना कि आज इस ग्राम या नगर में बारह बूढ़े मर गए। यह भाषा विगतमिश्रिता सत्यामृषा है। (3) . उत्पन्नविगतिमिश्रता- उत्पन्नों (जन्में हुओं) और मृतकों (मरे हुओं) की संख्या नियत होने पर भी / 4 उसमें गड़बड़ करके कहना। (4) जीवमिश्रिता-शंख आदि की ऐसी राशि हो, जिसमें बहुत-से जीवित 1 ca हों और कुछ मृत हों, उस एक राशि को देख कर कहना कि कितनी बड़ी जीवराशि है, यह . जीवमिश्रिता सत्यामृषा भाषा है, क्योंकि यह भाषा जीवित शंखों की अपेक्षा सत्य है और मृत शंखों की अपेक्षा से मृषा / (5) अजीवमिश्रिता- बहुत-से मृतकों और थोड़े-से जीवित शंखों की एक राशि (r)(r)(r)(r)(r)Recr@9880808080908 &&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&& 22222 333333