________________ (9) शुक्ल प्रवचन भाग-1,2,3,4,5,6,7,8 (10) सुमनवाणी (11) आवश्यक सूत्र (अंग्रेजी) (आत्मसिद्धि शास्त्र का लगभग 1000 पृष्ठों में विस्तृत विवेचन) (12) शुक्ल प्रवचन (13) मोक्षशास्त्र (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र) (पं. पन्नालाल बाकलीवाल की भाषा टीका सहित, समीक्षात्मक विवेचन व अध्यायसार सहित) ____(14) शुक्ल वाणी (अम्बाला शहर में 2003 ई. में दिये गये प्रवचनों का संकलन) विशेषताः श्रमण संघ में ऐक्य-संगठन, न्याययुक्त रीति-नीतियों के संदर्भ में आप समय-समय पर श्री अ. भा. श्वे. स्था. श्रमण संघ के सर्वोच्च अधिशास्ता, अनुशास्ता आदि पदवीधारी महाश्रमणों के साथ एवं पदाधिकारी श्रावक आदि वर्ग के साथ स्पष्ट विचार-विनिमय करते रहे हैं। श्रमण संघीय विधान संशोधन, प्रवर्तक एवं उपाध्याय-युवाचार्य पद के विवाद पर आपका न्याय पक्ष पर अडिग रहना सर्वविदित है। आपके हृदय में धर्मशासन के प्रति श्रद्धा, समर्पण-भाव, संघनिष्ठा, समन्वय-पद्धति के विशेष गुण विद्यमान हैं / आप प्रकृति से नम्र, मिलनसार हैं तथा साथ ही साथ निर्भीक एवं सिद्धांतवादी हैं। अतिशय प्रशंसा के आप विरोधी रहे हैं / यथार्थ के अधिक विश्वासी होने के कारण समाज के व्यक्तियों के प्रशंसा के गीत गाना और सुनना पसंद नहीं करते हैं / उपेक्षित एवं प्रताड़ित सदस्यों के आप सदा पक्षधर रहे हैं। कुल मिलाकर आपका जीवन तेजस्विता एवं ओजस्विता से परिपूर्ण रहा है। शिष्य परिवारः विद्याभिलाषी, सेवाभावी श्री सुमंतभद्रजी म., 'साधक', मुनि श्री गुणभद्र (मेजरमुनि) जी म., श्री नवीन मुनि जी म., श्री लाभमुनि जी म. आपके शिष्य प्रशिष्य-परिवार के मुनिराज़ हैं। संस्थापित धर्म संस्थाएं: आपश्री द्वारा संस्थापित संस्थाओं की सूची विस्तृत है। संक्षिप्ततः आपकी सद्प्रेरणा से निर्मित कतिपय संस्थाओं का विवरण यहां प्रस्तुत है। ये संस्थाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, साहित्य-सेवा, धर्म-साधना आदि विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति-पथ पर गतिमान हैं। आपका धर्म-साधना के साथ-साथ मानव मात्र के कल्याण का उद्देश्य भी रहा है। इन संस्थाओं के निर्माण में आपकी भागीदारी न समझें, अपितु प्रवचन द्वारा प्रबल-प्रेरणा से प्रेरित विनिर्मित संस्थाएं समझें। (1) श्री महावीर जैन पुस्तकालय' (जैन स्थानक), रायकोट, सन् 1954 (2) पूज्य श्री काशीराम जैन स्मृति ग्रन्थमाला-अम्बाला, सन् 1957 (3) श्री महावीर जैन लाइब्रेरी-चरखीदादरी, सन् 1958 (4) श्री महावीर जैन कन्या पाठशाला, भिवानी (हरियाणा), सन् 1958