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________________ निमित्त के आधार पर परिस्थितिवाद का विकास हुआ। परिस्थितिवाद मिथ्या नहीं है, किन्तु जहां केवल परिस्थिति पर ही सारा बोझ डाल. दिया जाता है, उसे ही सर्वोपरि मूल्य दे दिया जाता है, वहां व्यक्ति छिप जाता है, फिर बुराई करने में उसे कोई संकोच नहीं होता, क्योंकि वह मान लेता है कि उसका कोई लेना-देना नहीं है। परिस्थिति व्यापक है, सामूहिक है, वह बच जाता है। इससे बड़ी समस्या पैदा होती है। व्यक्ति बुरा न बने, इसलिए वैयक्तिक चेतना बहुत जरूरी है और व्यक्ति दूसरों के प्रति बुरा न बने, इसलिए सामूहिक चेतना का विकास भी बहुत आवश्यक है। परिस्थितिवाद या निमित्तवाद तथा कर्मवाद या उपादानवाद, दोनों का योग हुए बिना काम ठीक नहीं बनता। .. कर्मवाद के सन्दर्भ में भगवान् महावीर ने दो महत्त्वपूर्ण सूत्र दिए हैं-स्वयं उदित और परेण उदीरित। कर्म की दो अवस्थाएं होती हैं। एक है, कर्म स्वयं उदय में आता है। व्यक्ति अपने पुरुषार्थ के द्वारा कर्म को उदीर्ण करता है, कर्म को विपाक अवस्था में लाता है और उसका फल भोगता है। यह नितान्त वैयक्तिक है। कर्म की दूसरी अवस्था है कि वह दूसरे निमित्त के द्वारा उदीरित होता है। कर्म स्वयं विपाक अवस्था को प्राप्त नहीं हो रहा है, किन्तु दूसरा उस कर्म को, उपादान या संस्कार को, उदय अवस्था में ला देता है। यह है उदीरितावस्था। इसे हम एक घटना के माध्यम से समझें। एक व्यक्ति स्वस्थ है। उसे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं है। वह रास्ते पर आराम से चल रहा है। पीछे से कोई आकर शस्त्र का प्रहार करता है और उस व्यक्ति की वहीं मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु स्वयं-प्राप्त मृत्यु नहीं है, स्वयं द्वारा उदीर्ण नहीं, किन्तु दूसरे व्यक्ति द्वारा उदीरित मृत्यु है। यह मृत्यु दूसरे व्यक्ति द्वारा लायी गई है। जो मृत्यु बीस-तीस वर्ष बाद होने वाली थी, वह शस्त्र प्रहार से अभी हो गई। यह उदीरित मृत्यु है। यह कर्म का सामाजिक संबंध है। प्रत्येक कर्म का उदय इन दो स्थितियों में होता है-स्वयं उदीर्ण और दूसरे के द्वारा उदीरित। सामाजिक कर्म का अर्थ है-उदीरित कर्म। एक ऐसा काम होता है कि हजारों व्यक्तियों के साथ कर्म की उदीरणा हो जाती है, कर्म 236 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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