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________________ कर दिया कि मूल कारण इनसे भी बहुत आगे हैं। वे हैं हमारे हार्मोन ग्रंथियों के स्राव। हमारे शरीर की विभिन्न ग्रंथियां जो स्राव करती हैं, वे हार्मोन जो निकलते हैं, वे मूल हैं वे आधार हैं। वे शरीर और मन को जितना प्रभावित करते हैं, उतना प्रभावित हृदय, यकृत, स्नायुसंस्थान आदि नहीं करते। हार्मोन की खोज ने, ग्रंथियों के स्राव की खोज ने चिकित्सा जगत् में सचमुच एक क्रांति ला दी, कायाकल्प-सा कर दिया। इस खोज ने मानस-विश्लेषण की और शारीरिक विकास की विधा को दूर तक पहुंचा दिया। ___ग्रंथियां हमारे शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं। कंठमणि (थायरायड) शरीर के समूचे विकास को प्रभावित करती है। यदि इसका स्राव ठीक नहीं है तो आदमी बौना-का-बौना रह जाता है। थायरायड से उत्पादित रस का नाम थायरोक्सिन (Thyroxin) है। यह शरीर की पुष्टि, वृद्धि और मन के विकास का घटक रस है। यदि यह रस समुचित रूप से उत्पन्न नहीं होता है तो शरीर कमजोर रह जाता है और बुद्धि तथा मन का विकास नहीं होता। भय और क्रोध . की अवस्था में कंठमणि का स्राव समुचित नहीं होता। इसके फलस्वरूप अनेक प्रकार की शारीरिक बीमारियां उत्पन्न होती हैं। पीनियल (Pineal) ठीक काम नहीं करती है तो प्रतिभा का विकास नहीं होता। इस ग्रंथि के स्राव के बिना कोई भी व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं हो सकता। यदि समुचित परिमाण में यह रस प्राप्त नहीं होता है तो शरीर का संतुलन, मन और शरीर तथा प्राणों का नियन्त्रण ठीक नहीं रह सकता। ___एड्रेनल (Adrenal) ग्रंथि का स्राव समुचित नहीं होता है तो भय, चिन्ता. क्रोध उत्पन्न होता है. सारी अस्त-व्यस्तताएं होती हैं। इसका रस बिना निमित्त के भी बन जाता है। उसके प्रभाव से आदमी अकारण ही चिंतित रहने लग जाता है। इस ग्रंथि से निकलने वाला रस एड्रेनलिन (Adrenalin) कहलाता है। शारीरिक स्फूर्ति का यह निमित्त बनता है। जब कभी प्राणी खतरे के छोर पर होता है तब यह ग्रंथि अधिक स्राव करती है और वह रस अधिक मात्रा में रक्त में मिलकर प्राणी को खतरे आचरण के स्रोत 13
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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