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________________ हैं। जो आचरण सामुदायिक चेतना के कारण नहीं होते किन्तु अपनी विशिष्टताओं के कारण होते हैं, वे वैयक्तिक चेतना के कार्य हैं। व्यापारी का लड़का व्यापारी, सुनार का लड़का सुनार, खाती का लड़का खाती और किसान का लड़का किसान होता है। प्रायः यह स्थिति बनती है कि पिता का व्यवसाय पुत्र संभाल लेता है। इसके पीछे एक वैयक्तिक विशिष्टता काम करती है। यह समूचे समाज में, समुदाय में नहीं मिलती। यह विशेषता व्यक्तिगत विशेषता होती है और वह उस ओर चला जाता है। यह व्यक्तिगत चेतना है। यह एक विशेष प्रकार की रुचि है। ये दस प्रकार की संज्ञाए हैं। ये व्यवहार और आचरण को प्रभावित करती हैं। इन्हें आचरणों का स्रोत कहा जा सकता है। प्रश्न होता है-क्या ये मूल स्रोत हैं ? प्रश्न और आगे बढ़ गया। उत्तर होगा कि ये स्रोत हैं, किन्तु मूल स्रोत नहीं हैं। गंगा बह रही है। प्रवाह को रोककर बांध बना दिया। बांध के फाटक खोल दिए गये। वहां से पानी का प्रवाह आगे चलता है। वह बांध इस प्रवाह का स्रोत बन जाता है, किन्तु वह मूल स्रोत नहीं है। मूल स्रोत को खोजने के लिए गंगोत्री तक पहुंचना होगा। गंगा का मूल स्रोत है गंगोत्री। यहां से गंगा का प्रवाह प्रारम्भ होता है। ये दस वृत्तियां बीच के बने हुए बांध हैं। इनके फाटक खुले हैं। इनमें से छनकर निकलने वाली चेतना आगे प्रवाहित होती है और हमारे आचरणों को प्रभावित करती है। किन्तु ये मूल स्रोत नहीं हैं। मूल स्रोत की खोज में बहुत आगे जाने की जरूरत है। आज के शरीरशास्त्रियों ने बहुत सूक्ष्म खोजें की हैं। पहले पांच मूल तत्त्व या पांच भौतिक तत्त्व ही मूल कारण माने जाते थे। आज के वैज्ञानिक वैसा नहीं मानते। उन्होंने इतने सूक्ष्म तत्त्व खोज लिये हैं कि ये पांच तत्त्व-पृथ्वी, अप, तेजस्, वायु और आकाश तो उनके ही सरंक्षक बन जाते हैं। ये मूल कारण नहीं हैं। मूल कारण कुछ और हैं। प्राचीन शरीर-विशेषज्ञ हृदय, स्नायु-संस्थान, गुर्दा-इनको शरीर के संचालक मानते थे। किन्तु वर्तमान शरीरशास्त्र की खोजों ने यह प्रमाणित 12 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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