SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ से मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करता है। कभी-कभी होने वाले असाधारण कार्य भी इसी के फलस्वरूप होते हैं। .. गोनैड (Gonads) ग्रंथि से यौन उत्तेजना तथा शारीरिक यौन-चिह्न उत्पन्न होते हैं। कर्म-शास्त्र की भाषा में जिसे हम 'वेद' कहते हैं, उससे इस ग्रंथि का सम्बन्ध है। लिंग-परिवर्तन-स्त्री से पुरुष हो जाना या पुरुष से स्त्री हो जाना-यह सारा इसी ग्रंथि के स्राव पर निर्भर होता है। . ग्रंथियों के स्राव से सम्बन्धित ये खोजें बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। शारीरिक ग्रंथियों के स्रावों के परिवर्तन के आधार पर अनेक प्रकार की विभिन्नताएं उत्पन्न होती हैं। किन्तु ये ग्रंथियां या इनके स्राव भी मूल कारण नहीं हैं। इनके पीछे भी कुछ सूक्ष्म कारण हैं। ये जो रस-स्राव हमारी वृत्तियों को, हमारे व्यवहार और आचरण को प्रभावित करते हैं उनके पीछे भी कोई दूसरा सूक्ष्म कारण और है। मूल स्रोत या महास्रोत कोई दूसरा ही है। उस मूल स्रोत की खोज करने के लिए ही हमारी यह यात्रा है। इस यात्रा में चलते-चलते हम एक बिन्दु पर पहुंचे हैं। उस बिन्दु का, उस मूल स्रोत का, उस गंगोत्री का नाम होगा 'कर्म' / यह हमारे आचरणों का, वृत्तियों का मूलस्रोत है, महास्रोत है। . आज केवल कर्म की पृष्ठभूमि की चर्चा की। अब मूल स्रोत का स्वरूप क्या है-इस पर आगे चर्चा करेंगे। 14 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy