________________ छण्णउइयमी धणलुद्धस्स धुत्तस्स कहा --- ----- ---- धणलुद्धजणा एत्थ, सहते छेयभेयणं / इह धुत्तस्स दिटुंतो, लोगाणं बोहदायगो / / 1 / / रयणसंचयाए नयरीए रयणक्कसेट्ठिणो पउमो नाम पुत्तो होत्था / सो य सेट्ठी पुत्तस्स पुरओ एगया रहंसि वयासी-पुत्त ! बहुविं लच्छिं राय-बंधव-चोर-दायादपमुहा हरेइरे, अओ कियंती सिरी भूमिमज्झम्मि खिविज्जइ / तओ अद्धनिहाणं घेत्तूणं पुराओ बाहिरं गंतूणं देवगेहासण्णभूमिं खणिऊणं जइआ धणं ठविउं सज्जीहूओ तइया रयणक्कसेट्ठी पुत्तं पइ आह ‘पलोएसु देवघरं' कयावि कोवि पुरिसो धुत्तो अन्नो वा होहिइ सो धणं घेत्तूणं जाहिइ / M