________________ 96 पाइअविनाणकहा-१ साहुवरेण पंजरबंधणाओ जुत्तीए अहं उम्मोइओ / एवं इंदियाणं निग्गहकरणेण भवबंधणाओ जीवो वि छुट्टिज्ज, परमपयं च पावेइ / अहं पि वणम्मि गंतूण जहिच्छं पहुपायसरणेण जीवणं सहलं करिस्सामि" त्ति कहिऊण वणम्मि गओ सुहिओ य जाओ / / उवएसो निग्गहो, इंदियस्सेह, सुगस्स फलिओ जहा / तहा 'तुम्हे पयट्टेह, तंमि समाहिया सया' / / 2 / / इंदियाण निग्गहे महप्पसुगाणं चालीसइमी कहा समत्ता / / 40 / / -गुजरभासाकहाए