________________ 58 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा. 5-7 इस तरह ज्योतिषी निकायके पांच युगलोंकी उत्कृष्ट और जघन्यस्थिति कही और मध्यमस्थितिके लिए तो पहले जो स्पष्टता की है, उसके अनुसार सुज्ञजन यहाँ भी समझ लें / सूर्य-चन्द्रकी आयुष्यस्थिति के अनुसार सामानिकादि देवोंकी आयुष्यस्थिति भी जाने / [5-6-7 ] // ज्योतिषी निकायगत देव-देवियोंके जघन्य-उत्कृष्ट आयुष्यका यंत्र / / ज्योतिषी नाम | जघन्य आयुष्य | | उत्कृष्ट आयुष्य चन्द्र-इन्द्रका नहीं है। 1 पल्योपमके उपर 1 लाख वर्ष चन्द्रकी इन्द्राणीका / पल्योपम ( प०) | (उससे आधा) // पल्योपम ऊपर 50 हजार वर्ष चन्द्रकी प्रजा-देवोंका 1 पल्योपम ऊपर 1 लाख वर्ष चन्द्रकी प्रजा-देवीका (उससे आधा) o // पल्योपम ऊपर 50 हजार वर्ष सूर्य इन्द्रका नहीं है 1 पल्योपम उपरांत 1000 वर्ष सूर्यकी इन्द्राणीका / पल्योपम o| पल्योपम ऊपर 500 वर्ष सूर्यके प्रजा देवका 1 पल्योपम ऊपर 1000 वर्ष सूर्य प्रजा-देवीका 0 // पल्योपम ऊपर 500 वर्ष ग्रह अधिपतिका 1 पल्योपम ग्रहाधिपतिकी इन्द्राणीका 0 // पल्योपम ग्रहप्रजा-देवका 1 पल्योपम ग्रहप्रजा-देवीका o // पल्योपम नक्षत्र अधिपतिका 0 // पल्योपम नक्षत्राधिपतिकी देवीका 0 / पल्योपम-साधिक नक्षत्र देवका o // पल्योपम नक्षत्र देवीका / पल्योपम-साधिक तारा अधिपतिका . |पल्योपमका आठवाँ भाग| पल्योगम ताराधिपतिकी देवीका है, है पल्योपम-साधिक भाग तारा देवका 0 / पल्योपम तारा देवीका , पल्योपम अवतरण-पहले भवनपति, व्यन्तर और ज्योतिषी इन तीनों निकायोंकी आयुष्यस्थितिका