________________ गुण कहलाता है। जड़पने को अचेतन कहते हैं, अनुभव नहीं होना ही अचेतनत्व है, चेतना का अभाव ही अचेतनत्व गुण कहलाता है। रूपादिपने को अर्थात् स्पर्श, रस, गन्ध, वर्णपने को मूर्तत्व गुण कहते हैं। स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण इनसे रहित-पना अमूर्तत्व है। यहाँ कोई प्रश्न करता है कि चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व ये गुण सामान्य कैसे कहे जा सकते हैं? क्योंकि जिसमें चेतनत्व है उसमें अचेतनत्व नहीं हो सकता और जिसमें मूर्तत्व है तो उसमें अमूर्तत्व गुण कैसे हो सकता? इसीलिए ये गुण तो विशेष गुण प्रतीत होते हैं। इस शंका का समाधान करते हैं कि - जीव और पुद्गल यदि एक-एक होते तो शंका ठीक थी परन्तु जीव भी अनंत हैं और पुद्गल भी अनन्त हैं। इसीलिए स्वजाति की अपेक्षा चेतनत्व और मूर्तत्व तथा अचेतनत्व एवं अमूर्तत्व सामान्य गुण सिद्ध हो जाते इन सामान्य 10 गुणों में से प्रत्येक द्रव्य में आठ-आठ गुण होते हैं और दो-दो गुण नहीं होते हैं। निम्न तालिका के माध्यम से प्रत्येक द्रव्य के सामान्य गुणों को समझते क्र.सं. द्रव्य जीव सामान्य गुण | अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, चेतनत्व, अमूर्तत्व अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, अचेतनत्व, पुद्गल मूर्तत्व 3. धर्म अधर्म अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, अचेतनत्व, अमूर्तत्व अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, अचेतनत्व, अमूर्तत्व अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, अचेतनत्व, अमूर्तत्व अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, अचेतनत्व, अमूर्तत्व आकाश काल 60 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org