________________ पिण्डस्थ रिष्ट - मृत्यु से कुछ समय शारीरिक, इन्द्रिय शक्ति, धैर्य और स्मृति आदि में न्यूनता आने लगती है। ये मृत्यु के काल को निश्चित करने के संकेत हैं। जैसे - जो व्यक्ति स्थिर होने पर भी काँपता रहे, एकाएक मोटे से पतला अथवा पतले से मोटा हो जाये, गले में डालने पर अंगुलियों का बन्धन दृढ़ न हो, दूसरों के बाल और सूर्य-चन्द्रमा का प्रकाश स्पष्ट न दिखे, जिह्वा इन्द्रिय और लिंग (उपस्थ) काले पड़ जायें, ललाट की रेखायें मिट जायें आदि इनमें से कोई भी प्रकट हो तो उसकी आयु एक माह शेष जानना चाहिये। शरीर कान्तिहीन, श्वास तेज, सुगन्ध-दुर्गन्ध में भेद नहीं हो, स्नानोपरान्त सर्वप्रथम वक्षस्थल सूखे, दूसरों का रूप न देख सके वह 15 दिन तक जीवेगा, ऐसा जानना चाहिये। जिसकी आँखे स्थिर, शरीर काष्ठवत्, ललाट पर पसीना, भौंहें टेढ़ी हो जावें, आँख की पुतली धंस जाये, मुख सफेद विकृत हो जाये, दाँत टूटकर गिरने लगे और दुर्गन्ध आवे, मस्तक में सनसनाहट, शब्दोच्चारण ठीक न हो, बाल खींचने पर दर्द न हो, समुद्र घोष के स्वर सुनाई दें, हथेलियों की चुल्लु न बने, बन जाये तो खुलने में विलम्ब हो तो उसकी आयु सात दिन समझना चाहिये। इसी प्रकार छह, पाँच, चार, तीन, दो, एक दिनों के भी अनेक लक्षण हैं। पदस्थ रिष्ट - ये रिष्ट आकाशीय दिव्य पदार्थों में, भूमि पर और कुत्ता, बिल्ली, नेवला, सर्प, कबूतर, चींटी, कौआ एवं गाय-बैल आदि के संकेतों द्वारा जाने जा सकते हैं। जो व्यक्ति चन्द्रमा को अनेक रूपों में और छिद्र सहित देखता है, अर्द्धचन्द्र को मण्डलाकार देखे, सप्तऋषि एवं ध्रुव आदि तारों को, दिन में धूप नहीं देखता, चन्द्र को ग्रसित और सूर्य को छिद्रपूर्ण देखता है, वह एक वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहता है। जिसे सूर्य या चन्द्र मध्यभाग में काले, चन्द्रबिम्ब में लाल और सूर्य में काले धब्बे, सूर्य बिम्ब लोहित वर्ण और चन्द्रबिम्ब हरा दिखाई दे, सूर्य-चन्द्र को अथवा उनके किसी अन्त को बाणों से बिद्ध दिखाई पड़े, चन्द्रमा को मंगल, गुरु के मध्य और शुक्र ग्रह के समान्तर दिखाई पड़े तथा मीन राशि की स्थिति चञ्चल हो, वह छह मास से अधिक नहीं जी पाता है। इस प्रकार अन्य चार तीन, दो आदि मासों के अनेक रिष्ट दर्शन हैं जिन्हें आगम से जानना चाहिये। 311 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org