SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की प्रेरणा तथा विषय एवं भाषागत सुझावों ने शोध को सुगम और गौरवमय बनाया है। आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। विश्वविद्यालय प्रमुख कुलपति महोदया डॉ. समणी चारित्रप्रज्ञा, पूर्व कुलपति महोदया डॉ. समणी मंगलप्रज्ञा, शोध निदेशक प्रो. बच्छराज दूगड़, प्राध्यापक, समणी वर्ग की प्रेरणा तथा सुझावों ने शोध को सुगम एवं गौरवमय बनाया। अतः आपका हृदय से उपकार मानते हुए आभार व्यक्त करता हूँ। . श्री शरद जैन एवं श्रीमती मनीषा जैन, जिन्होंने अपने छोटे भाई की तरह स्नेह दिया और शोधकार्य में आगत समस्त बाधाओं को दूर करते हुए प्रेरित करते रहे। श्रीमती सीमा जैन एवं श्रीमती मीना जैन धर्मपत्नि डॉ. जिनेन्द्र कुमार जैन का भी ससम्मान आभार व्यक्त करता हूँ, जिनकी प्रेरणा से मुझे शोध में गति प्राप्त हुई। श्री राजेन्द्र कुमार जैन एवं श्रीमती मीना जैन का भी सहयोग रहा। विश्वविद्यालय के अन्य समस्त अधिकारीगण तथा पुस्तकालय की श्रीमती महिमा जैन एवं अन्य सभी कर्मचारीगण का यथोचित सहयोग मिला। अतः इनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। - इस अवसर पर मैं अपने पूज्य पिताजी श्रीमान् शीलचन्द जैन को स्मरण करके भाव विह्वल हैं, जिनकी प्रेरणा हमेशा श्रमसाधना के लिये रहती है एवं श्रद्धेया पूज्य माताजी श्रीमती सुधा जैन के चरणों में नतमस्तक हूँ, जिनकी प्रेरणा सदैव धर्ममार्ग एवं साहित्य साधना के लिये रहती है। ताऊजी, ताईजी - श्री कोमलचन्द जैन, श्रीमती सरोज जैन, चाचाजी चाचीजी - श्री कैलाशचन्द जैन, श्रीमती राजकुमारी जैन, अग्रज श्री विजय जैन, आनन्द जैन एवं अनुज सौरभ जैन, शुभम जैन, राहुल जैन तथा प्रिया अनुजा दीपिका जैन के प्रति हृदय आह्लादित है, जिनके आशीर्वाद एवं स्नेह से शोधकार्य में प्रेरणा मिली। इष्ट मित्रों एवं विद्वान् साथियों में डॉ. आनन्द कुमार जैन, वीरेन्द्र जैन, विकास सिंघई, श्री संजीव जैन, श्री मुकेश जैन, अनन्त बल्ले, डॉ. मुकेश जैन, डॉ. पुलक गोयल, सतेन्द्र जैन, अभिषेक जैन, नवीन जैन, रामनरेश जैन, प्रशान्त भारिल्ल, डॉ. सुमत जैन आदि सभी का आभार व्यक्त करता हूँ जिनका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से हमें मार्गदर्शन या सहयोग मिला। अन्त में श्री सुधीर कुमार झा एवं श्री घनश्याम तिवारी के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने कड़ी मेहनत, लगन एवं निष्ठापूर्वक प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध को टङ्कण-कार्य कर पूर्णता प्रदान की। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004264
Book TitleDevsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy