________________ बिना ध्यान के सम्भव नहीं है। अतः आत्मस्वरूप का ध्यान करता है तो मुक्ति रूपी लक्ष्मी निश्चित रूप से प्राप्त होती है।' आचार्य कहते हैं कि हे भव्यजीव! समस्त बहिरंग और अन्तरंग परिग्रह को त्याग करके जिनेन्द्र भगवान् का दिगम्बर वेश धारण करो, आत्मस्वरूप का ध्यान करो तो नियम से सिद्ध पद को प्राप्त करोगे।' भग. आ. गा. 105,111 भग. आ. गा. 112 239 Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org