________________ 412. 413. 414. 415. 416. 417. 418. 419. 420. 421. 422. 424. 425. 426. 427. योगदृष्टि की सज्झाय, गाथा 54-56 योगदृष्टि समुच्चय, गाथा 15 वही, गाथा 57 वही, गाथा 56-57 आठ दृष्टि की सज्झाय, 4/1, पृ. 78 योगदृष्टि समुच्चय, पृ. 143 वही, पृ. 255 आठ दृष्टि की सज्झाय, 4/2 पातंजल योगसूत्र, पृ. 2/29 योगदृष्टि समुच्चय टीका, गाथा 57 वही, पं. धीरुभाईकृत विवेचन, गाथा 57, पृ. 224 तारा द्वात्रिशिक्षका योगदृष्टि समुच्चय, गाथा 58-62 अध्यात्मसार, प्रबन्ध-1, अधिकार-4 पुण्यप्रकाशस्तवल, 4/1, 2 योगदृष्टि समुच्चय, श्लोक 58-65 आठ दृष्टि की सज्झाय, 5/14, पृ. 145 पातंजल योगसूत्र, 2/29 वही, 2/54 व्यास योगसूत्र, 2/54 योगदृष्टि समुच्चय, 155, 156 ध्यानयोग एवं कर्ममीमांसा, पृ. 10 आठ दृष्टि की सज्झाय, 6/5, पृ. 173 योगदृष्टि समुच्चय, श्लोक 162 योगसूत्र विभूति पाद, सूत्र-2 योगदृष्टि समुच्चय, गाथा 15 वही, श्लोक 163-164 जैनयोग का आलोचनज्ञत्मक अध्ययन, पृ. 212 आठ दृष्टि की सज्झाय, 7/1, पृ. 186 पातंजल योगसूत्र, 2/29 योगसूत्र विभूतिवाद, सूत्र-2 428. 429. 430. 431. 432. 433. 434: 435. 436. 437. 438. 439. 440. 441. 442. 412 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org