________________ हार्दिक अनुमोदना इस जगत में जैन धर्म सर्वोपरी है। ये अत्यंत मार्मिक रहस्यमय, सुक्ष्मतम एवं गहन धर्म है। यह अनादिकाल से है और अनंतकाल तक चलता रहेगा / इसकी कोई शुरुआत या इसका कोई अंत नहीं है / आजकल तो विदेशों में भी जैन धर्म पर शोधकार्य चल रहा है / और वे अपने जैनधर्म को अपना रहे है / ये हमारा सौभाग्य है कि हमें प्रभु महावीर के शासनकाल में, जैन कुल में हमारा जन्म हुआ और ऐसे अचिंत्य प्रभावशाली जैन धर्म को प्राप्त किया / प्रभु महावीर की परंपरा में अनेक केवली भगवंत, गणधर भगवंत उपाध्याय एवं आचार्य हुए / इनमें महोपाध्याय यशोविजय का स्थान अग्रिम है। वे प्रकांड विद्वान थे / उनका साहित्य गहन एवं जटिल था / ऐसे मनीषि के साहित्य के निचोडरूप नवनीत को पाना कठिन ही नहीं अति दुष्कर हैं / फिर भी आज बडी खुशी की बात है हमारे त्रिस्तुतिक धर्म की जगत को पहचान कराने वाले अभिधान राजेन्द्र कोष के रचयिता कलिकाल सर्वज्ञ, विश्व पूज्य श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी की पट्ट परंपरा को चलाने वाले वर्तमान आचार्य दिक्षा दानेश्वरी, उग्रविहारी, वचनसिद्ध, गच्छाधिपति, राष्ट्रसंत श्रीमद् विजय जयंतसेनसूरीश्वरजी महाराज 'मधुकर' की आज्ञानुवर्तिनी सरल स्वभावी कोमल हृदया, स्नेहिल साध्वीजी श्री भुवनप्रभाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या 73 उपवास की तपस्विनी साध्वी श्री अमृतरसाश्रीजी को जैन विश्व भारती-लाडनुं द्वारा "उपाध्याय यशोविजयजी के साहित्य के दार्शनिक चिंतन का वैशिष्ट्य" पर Ph.D. करने की अनुमति प्रदान की गई / इस सुनहरे अवसर के बारे में जानकर सुख की अनुभूति हुई / आज उनकी ज्ञान यात्रा B.A., M.A. एवं Ph.D. की पूर्णाहुती हो रही है। आपने त्रिस्तुतिक धर्म, दादा गुरुदेव, वर्तमानाचार्य जयंतसेनसूरीश्वरजी म.सा., गुरुमैया श्री भुवनप्रभाश्रीजी म.सा. एवं अपने सांसारिक परिजनों का नाम रोशन कर गौरवान्वित किया है। इस बात की हमें बेहद खुशी एवं गर्व है। भविष्य में भी आप उत्कृष्ट चरित्र पालन करके, ज्ञान की गंगा को प्रवाहित करेंगे और जैन समाज को नई दिशा देंगे और जिनशासन को गौरवान्वित करेंगे / यही हमारी अंतरमन से निकली हुई दुआ है। Ph.D. पूर्णाहुति के अवसर पर बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं / अंत में साध्वी बहना आपको हर क्षेत्र में, हर मोड पर विजय हासिल हो / सफलता आपके कदमों में बसे इसी शुभ कामना एवं शुभेच्छा के साथ / नरेन्द्र जैन नाहर गुंटुर (A.P.) 15 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org