________________ 236. 237. 238. 239. 240. 241. 242. 243. 244. 245. 247. 248. 249. 250. 251. अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 30 अभिधान राजेन्द्रकोश, 3/50-51; 41/1857; रत्नाकरावतारिका, 7/40-41 अभिधान राजेन्द्रकोश, 3/5 वही, 4/1857 न्यायप्रदीप, पृ. 103 नयवाद, पृ. 29 नयचक्रसार, पृ. 142 जैन तर्कपरिभाषा, पृ. 190 अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 31 समवाओ, सूत्र 93 . उत्तराध्ययन सूत्र 28/24 तत्त्वार्थसूत्र, सूत्र 1/6 अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 117 अनेकान्त व्यवस्था सप्तभंगीतरंगिणी स्वयंभूस्तोत्र अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 117 वही वही विशेषावश्यक भाष्य, गाथा 227 तिलोयपण्णति, 1/82 विशेषावश्यक भाष्य, गाथा 949 अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 118 स्याद्वादमंजरी, पृ. 317 तत्त्वार्थभाष्य, 1/35 आप्तमीमांसा, श्लोक-108 अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 119 वही, पृ. 4 ज्ञानबिन्दु अध्यात्मोपनिषद् नयरहस्य, पृ. 4 252. 253. 254. 255. 256. 257. 258. 259. 260. 261. 262. 263. 264. 265. 266. 319 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org