________________ 267. 268. 269. 270. 271. अनेकान्त, नय, निक्षेप और स्याद्वाद, पृ. 3 ज्ञानसार, अष्टक 32 अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/1856, 5/229; तत्त्वार्थसूत्र, 1/33 पर सवार्थसिद्धि टीका अभिधान राजेन्द्रकोश, 2/270 तत्त्वार्थसूत्र, 1/35 एवं उस पर तत्त्वार्थभाष्य अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/1892; आलापपद्धति द्रव्यस्वभाव प्रकाशननयचक्रम, पृ. 228; बृहतद्रव्यसंग्रह, गाथा 3 की टीका, पृ. 19; द्रव्यानुयोग तर्कणा, 8/1 अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/1892; द्रव्यानुयोगतर्कणा, 8/1-2 अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/1892; द्रव्यस्वभाव प्रकाश नयचक्र, पृ. 228; जिनवरस्य नयचक्रम, पृ. 108 वही अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/1876; सन्मानतर्क काण्ड, 1/12 अभिधान राजेन्द्रकोश, 4/2469-2470; द्रव्यानुयोगतर्कणा, 5/9-11 अभिधान राजेन्द्रकोश, 5/229, 230; द्रव्यानुयोगतर्कणा, 6/2-7 द्रव्य के नित्य होने के कारण सत्ता को मुख्य और उत्पाद-व्यय को गौण मानते हैं। 275. 276. 277. 278. 279. 320 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org