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________________ आपके द्वारा किया गया ये शोधग्रंथरुपी पुरुषार्थ भावि पेढी के लिए बहुत ही लाभदायी होगा / बेंगलोर श्री जैनसंघ, एवं राजेन्द्र जयंतसेन म्युजीयम और हमारे चौधरी परिवार की ओर से ये मंगलकामना करते हैं कि पू. साध्वीजी इसी तरह निरंतर अपनी प्रज्ञा का विस्तार कर जिनशासन की शोभा एवं गुरुगच्छ की गरिमा में अभिवृद्धि करें इसी शुभ कामना के साथ / राजेन्द्र जयंतसेन म्युजीयम चेरीटेबल ट्रस्ट मिलापचंद चौधरी परिवार - बेंगलोर हार्दिक बधाई एवं अनुमोदना प्रातःस्मरणीय दादा गुरुदेव श्रीमद् विय राजेन्द्रसूरीश्वरजी के दिव्यातिदिव्य आशीर्वाद एवं उनकी पाट परंपरा में वर्तमानाचार्य राष्ट्रसंत श्रीमद् विजय जयन्तसेनसूरीश्वरजी म.सा. की असीम कृपादृष्टि से एवं उनकी आज्ञानुवर्ती सरलस्वभावी साध्वीजी भुवनप्रभाश्रीजी की पावन प्रेरणा एवं मंगल आशीर्वाद से उनकी शिष्या साध्वीजी अमृतरसाश्री ने "महोपाध्याय यशोविजय के दार्शनिक चिंतन का वैशिष्ट्य" इस विषय पर गहनता से एवं कडी महेनत से रीसर्च करके डो. ओफ फिलीसोफ Ph.D. की उपाधि अमदावाद में प्राप्त की यह सुनकर बहोत ही खुशी हुई / हमारे परिवार की और से हार्दिक हार्दिक बधाई हो / हमारे परिवार की तो विशेष खुशी है कि उन्होंने Ph.D. तक पहुंचने का प्रथम कदम जब उठाया था वो हमारे गांव में चातुर्मास था तब ही उठाया था / उत्तरोत्तर ज्ञान के क्षेत्र में उन्नति प्रगति करते हुए आज वो अपनी मंजिल तक पहुंच गये है। वो हमारे परिवार के लिए गौरव की बात है। हमारे गांव एवं परिवार की ओर से साध्वीजी को ढेर सारी बधाईयां एवं शुभकामनाएं देते है। परम पिता परमात्मा एवं दादा गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं कि साध्वीजी का स्वास्थ्य ठीक हो / और वो ज्ञान के क्षेत्र में उत्तरोत्तर आगे बढकर गुरु गच्छ की गरिमा को बढावें एवं शासन की शोभा में अभिवृद्धि करें ऐसी शक्ति प्रदान करें। आप का किया हुआ यह कार्य संघ, समाज, गच्छ एवं युनिवर्सिटी सब के लिए उपयोगी - बनेगा / आप आगे बढकर अपने संयमजीवन को सार्थक करें इसी शुभभावना के साथ / एस.पी. शाह परिवार मुंबई (कोसीलाव) व "गुरुओं की मंजिल तक चलते है वो लोग निराले होते है। गुरुओं का आशीर्वाद मिलता है वो लोग किस्मतवाले होते है / " आगे बढना जिनकी उमंग है, फूलों सा खिलना जिनकी तरंग है / रुकना नहीं सिखा जिसने, सफलता हमेशा उसी के संग है। सर्व कार्यो मंगलमय हो इसी शुभकामना के साथ / भुवनशिशु भक्ति सिद्धांत 13 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004261
Book TitleMahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutrasashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2014
Total Pages690
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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