________________ 167. जीवाजीवाभिगम वृत्ति, पृ. 6 168. तत्त्वार्थ सूत्र, अध्याय 5/7 169. वही, 5/6 170. प्रज्ञापना सूत्र, पद-1 171. न्यायावतार, पृ. 35 172. लोकप्रकाश, 2/25 173. भगवती सूत्र, शतक-2, उद्देशक-10 174. श्री भगवतीजी टीका, शतक-2, उद्देशक-1 175. जीवाजीवाभिगम मलयगिरियावृत्ति, पृ. 5 176. प्रज्ञापना टीका, प्रथम पद, पृ. 21 177. न्यायालोक, पृ. 324 178. दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, पृ. 69 179. जैन सिद्धान्त दीपिका, 1/6 180. भगवती सूत्र, 13/58 181. तत्त्वार्थ सूत्र, अध्याय-5, सूत्र-28 182. उत्तराध्ययन सूत्र, अध्याय 28/9 183. स्थनांग सूत्र, स्थानक-5, उद्देशक-3 184. स्थानांग वृत्ति, स्थानक-5, उद्देशक-3, पृ. 560 185. न्यायालोक, तृतीय प्रकाश, पृ. 324 186. अनुयोग मलधारीयवृत्ति, पृ. 68 187. उत्तराध्ययन वृहद्वृत्ति, पृ. 360 188. जीवाजीवाभिगम मलयगिरियावृत्ति, पृ. 7 189. लोकप्रकाश, सर्ग 1/11 190. षड्द्रव्यविचार, पृ. 15 191. उत्तराध्ययन सूत्र, 28/9 192. दिगम्बर ब्रह्म सूत्र, पृ. 358 193. भारतीय दर्शन के मूल तत्त्व, पृ. 101 194. स्याद्वाद मंजरी, पृ. 48 195. अभिधर्म कोश तत्र आकासमनावृत्ति, 1/5 196. विश्व प्रहेलिका, पृ. 22 197. वही, पृ. 23 187 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org