________________ १०भा० च०भा० Namana/ARO/ARIT GRO/parvatogeni emaraDARSe/PwDawaivasa शब्दार्थ-अभ्युपगम, निमित्त, ओघ, इतरहेतु अने पोचमी संग्रह वली जीव, विराधना अने प्रतिक्रमणएवा भेदथी इरियावहिनी आठ संपदा छे. तेमा प्रथमनी पांच मूलसंपदा अओ पाछलनी त्रग चूलिका संपदा जाणवी. // 33 // विस्तारार्थः--अच्युपगम एटले अंगीकार कर ते अहीं पापना गर्नु जे आलोचना लक्षण | कार्य तेनो अंगीकार करवो ते स्वरूप एटला माटे श्वामि पमिकमि ए बे पदनी प्रथम अच्युपगम संपदा जाणवी. 2 ते अंगीकारकृत वस्तुने उपजाववाना कारण रूप इरियावहियाए विराहणाए वे पदनी बीजी निमित संपदा जाणवी. 3 सामान्य प्रकारे प्रायश्चित्त नबजाववारूप गमणागमणे ए एक पदनी त्रीजी घ एटले सामान्य हेतु संपदा जाणवी. ए जीवहिंसा उपजाववानो सामान्य हेतु गमनागमन बे. ___जीवहिंसाना विशेष हेतुरूप पटले विशेषपणे प्राण बीजादिक आक्रमणरूप ते पाणकमणे बीयकमणे, हरियकमणे, नसा ननिंग पाणग दगमट्टीमकमा संताणा संकमणे, ए चार पदनी am00r a ternantarwasna Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org