________________ ब्द०भा० कारण // 28 // VIRREVRDI90/9500-000-10/NBRasPress दुम-वे पदनी च्छग-छ पदनी ... / इच्छा-इच्छाकारेण जेमे-जेमे जीवाविराहिया इग-एक पदनी इस्यि-इरियावहिनी - इरि-इरियावहियाए एगिदि-एमिंदिया चउ चार पदनी . पण-पांच पदनी' सपासपदाआना गम-गमणा गमणे / अभि-अभिहया इगार-अगीयार पदनी. | आइपया-प्रथमना पद पाणा-पाणकमणे तस्स-तस्सउत्तरी दुग दुग इग चउ इग पण, इगार च्छग इरिय संपयाइपया // इच्छा इरि.गम पाणा, जे से एगिदि अभि तस्स // 32 // शब्दार्थ-इरियावहिनी आठ संपदाना अनुक्रमे बे, बे, एक, चार, एक, पांच, अगीयार अने छ एटलां पदो जाणवां | अने आदि पद तो इच्छाकारण, इरियावहियाए, गमणागमणे, पाणक्कमणे, जे मे जीवा, एगिदिया, अभिहया अने तस्स उत्तरी ए आठ जाणवा. // 32 // विस्तारार्थः-पहेली संपदा बे पदनी, बीजी संपदा पण बे पदनी, त्रीजी एकपदनी, चोथी चार पदनी, पांचमी एकपदनी, बही पांच पदनी, सातमी अगीयार पदनी, आठमी उ पदनीजाणवी॥ PaavaavarooperaD/ODHPrasaare // 28 // Jain Education international For Personal & Private Use Only