________________ ०भा० शब्दार्थ-नवकारमा अडसठ अक्षर, नव पद तथा आठ संपदा होय छे. तेमां सात संपदा तो सात पदनी छे अने सत्तर अक्षरनी आठनी संपदा छेक्षा वे पदनी छे. // 30 // चि०भा० // 27 // yaaropas/ADVarnamama/astDARPREVIDED विस्तारार्थः-नवकारने विषे अमस वर्ण होय, तथा नमोअरिहंताणं आदिक पद ते नव होय, अने संपदा तो श्राप होय, तिहां ते आठ संपदामांहे प्रथमनी “सवपावप्पणासणो” सुधी | नी जे सात संपदा , ते तो पदने तुल्य जाणवी एटले जेटला पद तेटली संपदा पण जाणवी. तथा आठमी संपदा तो "मंगलाणं च सवेसिं" पढमं हवश् मंगलं ए बे पदने एक कहीयें माटे ए बे पदनी जाणवी, तथा अन्य केटलाएक आचार्य एम कहे बे, के “पढ़मं हवमंगलं" ए नव अक्षरनी थामी संपदा तथा " एसोपंच नमुक्कारो, सबपावप्पणासणो" ए बे पदनी अने सोल अदरनी बही संपदा जाणवी // 30 // operawdeos SITUADGarmaerarpaRASA // 27 ॥हवे प्रणिपात खमासमणना अदर तथा पद अने संपदा विवरी देखा // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org