________________ बै०भा० // 24 // @aveDAVIANDID /09/ 3 त्रीजु " पमिकमणा सुयस्कंध” एबुं नाम इरियावहियानुं बे, ते सूत्रना श्वामि पमिक| मलं श्हांथी मामीने यावत् गमि काजस्तग्गं लगें श्रदर एकशोने वली उपरें नवाणुं बे. 4 चोधुं "शक्रस्तव” एवं नाम नमोबुणंखें बे. तेना अदर बशें ने सत्ताणुं जाणवा. 5 पांचमुं “चैत्यस्तव" ए नाम अरिहंत चेश्याएंगें . तेना श्रदर बशें ने उगणत्रीश जे. 6 बहुं " नामस्तव " एq नाम लोगस्सर्नु , वर्तमान जिन चोवीशीना नामर्नु गुणोत्की रूप तेना अदर बशे ने शाप बे. 7 सातमुं " श्रुतस्तव” एवं नाम पुकरवरदीनु बे तेना अकर बशेने सोल ले. 7 आठमुं " सिद्धस्तव” एवं नाम सिद्धाणं बुद्धाणंनुं जे तेना अदर एकशो ने अट्टाणुं . ए नवमुं “प्रणिधान त्रिक” एवं नाम जावंति चेश्याई, जावंत केवि साहु अने सेवणा आनवमखंमा पर्यंत जयवीयराय ए त्रणेनुं . तेना अक्षर एकशो ने बावन बे.॥२६॥ BYONDVDesaVIAS/Pom/aimswatan 0/0DaseDow/ODAI // 24 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org