________________ marpavaAmavas/Bo8/02/mm/navaraaa त्थुगनां वसोने सत्तागुं, 5 अरिहंत चेइयाणंनां बसो ओगगत्रीस, 6 लोगस्तनां बसोने साठ, 7 पुख्खरवरदीनां बसोने सोल, 8 सिद्धाणं चुद्धाणंना एकसो अहाणु, 9 जावंति चेइयाई, जावंति केविसाहु अने जयवियराय ए रणना एकसो बावन अक्षर छे. सर्व मली 1647 याय छे. // 26 // विस्तारार्थः-१ प्रथम " पंच मंगल महासुयस्कंध" एहवं नाम नवकारर्नु , तेनां अदर अमसठ ते हवश मंगलं एवो पाठ नणतां थाय, केमके श्री महानिशीथ सूत्रमध्ये प्रकटारें हव मंगलं एहवो पाठ // यमुक्तं // पंच पयाणं पणतिस, वएणचूलाई वएण तित्तीसं // एवं सम्मे समप्पश्. फुम मरकर महसहीए // इति // 1 // ते माटें जो नमस्कारनो एक अक्षर उडी करे, तो चोसठ विधाने नमस्कार साधवो ते न्यून थाय, तेथी छाननी श्राशातनानो अतिचार | लागे, एवं श्रीनप्रवाहुस्वामी नमस्कारकल्पें प्रकाश्युं बे, माटें हवश् मंगलं एवो पाठ कहेवो. 2 बीजु “प्रणिपातं" एवं नाम श्वामिखमासमणर्नु बे, ते थोनसूत्रमा गुरुवंदनाधिकारें वां| दणामां आवशे, पण श्हां चैत्यवंदन माटें नेबु कथु बे. तेना अक्षर अद्यावीश जे. varsa/Amavasame/.moeopaaDADVERN For Personal Private Use Only www.sanelibrary.org