________________ चे.भा० चै०भा० 'DDEDIDOBORD/DBEDDEDGE विस्तारार्थः-एक नमस्कार श्लोकादिकरूप तथा नमो अरिहंताणं कहीने अथवा हाथ जोमी || मस्तक नमामवे करी अथवा नमो जिनाय कही नमवे करी अथवा एक श्लोकादि केहेवे करीअ थवा हमणां देहरे चैत्यवंदन कहियें बैयें, इत्यादि रूपें सर्वप्रथम जघन्य चैत्यवंदन जाणवू. तथा दंमक युगल ते अरिहंत चेश्याएंगें युगल तथा स्तुतियुगल ते चार थुश् एटले एक नमस्कार | श्लोकादिरूप कही, शक्रस्तव कही, उन्ना थर, अरिहंत चेश्याणं कही कानस्सग्ग करी, थुश कहेवी, ते बीजी मध्यम चैत्यवंदना जाणवी. तथा पांच नमोवुणा रूप पांच दंझके करी अने स्तुति चतुष्क एटले आठ थुये करीने, स्तवने करीने तथा जावंति चेश्या, जावंत केविसाहु अने जयवीयराय, एत्रण प्रणिधाने करीने त्रीजी उत्कृष्टी चैत्यवंदना जाणवी // 23 // अन्ने-अन्य जहन्न-जघन्य निगेण-त्रण चहि-चार विति-कहे छे वंदणया-चैत्य वंदना मज्झा-मध्यम पंचर्हि-पांच इगेणं-एक सकथएणं-शक्रस्तवे. / तंडुंग-तेबे उक्कोसा-उत्कृष्ट वा-अथवा Vas/9/09/29999999.00ava8/09/am // For Personal Private Use Only www.janelibrary.org