________________ कvie/PDATEG/ 4 GD तना वर्जवा निमित्तें ए अवग्रह जाणवा // 25 // ए चोथु त्रण अवग्रहनु घार कह्यु, श्हां सुधी सर्व मली उत्तर बोल 40 थया // 22 // हवे त्रण प्रकारें चैत्यवंदना करवी, तेनुं पांचमुं द्वार कहे . नमुक्कारेण-एक नमस्कारवडे | मझ-मध्यम | जुअला-युगल थय-स्तवने जहन्ना-जघन्य पण दंड-पांच दंडके पणिहाणेहिं-प्रणिधाने चिइबंदण-चैत्यवंदन थुइ-स्तुति थुइचउक्कग-स्तुति चतुष्क उकोसा-उत्कृष्टथी नमुक्कारेण जहन्ना, चिइवंदण मज्झ दंडथुइजुअला॥ पणदंड थुइचउक्कग-थयपणिहाणेहिं उक्कोसा // 23 // शब्दार्थ-नवकार बोली नमस्कार करवाथी जघन्य, अरिहंत चेइयाणंनुं युगल तथा चार स्तुति बोली नमस्कार करवाथी मध्यम अने पाच नमुत्थुगंरूप दंडक तथा आठ स्तुतिनां स्तवन अने त्रण प्रणिधाने करीने उत्कृष्ट चैत्यवंदना जाणवी.॥ 23 // SABGDRBANBadarasames/aADDDDand /DetaDENOVO For Personal & Private se Only