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________________ चै०भा० भाल // 20 // || चैत्यवंदना करे. इहां चैत्यवंदना पूजाना अधिकार माटें प्रसंगथी जमणी पासें दीपक थापवो, अने मावी पासें धूपादिक नाणुं, फलादिक, जिन आगलें तथा हस्ते आपीयें. ए वे दिशिनुत्रीजु | छार थयु. अने उत्तर बोल सामनीश थया. हवे त्रण अवग्रहy चोथु द्वार कहे . तिहां नगवंतथकी नव हाथ वेगला रहीने चैत्यवं- | दना करवी, ते प्रथम जघन्य अवग्रह जाणवो. तथा नगवंतथकी षष्ठिकर एटले शाठ हाय वेगला रहीने चैत्यवंदना करवी, ते बीजो ज्येष्ठ एटले उत्कृष्ट अवग्रह जाणवो, अने शेष जे नव हाथथी उपर अने शाठ हाथनी मांहेली कोरें एटली वेगलायें रही चैत्यवंदना करवी, ते सर्व त्रीजो मध्यम अवग्रह जाणवो. तथा केटलाएक आचार्य बार प्रकारना अवग्रह कहे डे के // उकोस सहि पन्ना, चत्ता तीसा दसह पणदसगं // दस नव ति छ एगद्धं, जिणुग्गह बारसविनेयं // 1 // एटले 60, 50, 40, 30, 17, 15, 10, ए, 3, 2, 1, // ए बार अवग्रह थया एटले | | अर्द्धा हाथथी मामीने शाठ हाथ पर्यंत श्रीजिनगृहे तथा गृहचैत्यादिकें श्वासोडासादि आशा MaBABPDPapaate/D // 20 // /END/anusar in Education international For Personal & Private Use Only www janebryong
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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