________________ a pUDAEDESI/dio/anemom /D/ANSODE शब्दार्थ-१ सचित्त द्रव्यनो त्याग, 2 अचित्त वस्तुने न तजवानी अनुज्ञा, 3. मन, एकाग्रपणुं, 4 एकसाडी उत्तरासंग अने 5 जिनेश्वरनां दर्शन धये माथा उपर अंजलि जोडवी. ए पांच अभिगम जाणवां. // 20 // .. विस्तारार्थः-चैत्यादिकने विषे प्रवेश करवानो विधि तेने अनिगम कहीये. ते पांच प्रकारे |. तिहां देहरे जातां सचित्त अव्य जे पोताना अंगे आश्रित कुसुमादिक, फलादिक होय, तेनुं बांबुं, ते प्रथम अनिगम, तथा अचित पदार्थ जे अव्यनाणादिक तथा आनरणादिक वस्त्रादिक | वस्तु तेनुं अणबांझq एटले पोतानी पासें राखवानी अनुज्ञा ते बीजो अनिगम. तथा मननुं ए. काग्रपणुं करवू, ते त्रीजो अनिगम. तथा एकपहुं वस्त्र बेहु डेमायें सहित होय तेनो उत्तरासंग करवो, ते चोथो अनिगम. तथा श्रीजिनेश्वरने दूर थकी नजरें दीठे थके बे हाथ जोमीने मस्तकने विषे लगामवा एटले अंजलिबद्ध प्रणाम करवो, ते पांचमो अनिगम जाणवो // 20 // मुच्चंति-मुके छत्त-छत्र चपरे-चामर . पंचविहाभिगमो-पांच प्रकारे रायचिन्हाई-राजानां चिन्ह | उवाणह-पगनी मोजडी अ-अने अभिगम खगं-खड्ग मउडं-मुकुट पंचमए-पांच अहवा-अथवा Domes/p/seas/anasanasopoD/DPuna Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org