________________ चै०भा० Dovasvarumsamasti/DDED/anasaDABADS || तिहां मन, वचन अने कायानी एकाग्रता जे ए मुख्य प्रणिधान ले ए दशमुं प्रणिधान त्रिक कयु. हवे शेष रह्या जे त्रिक एटले अहीं गाथायें करी जेनुं स्वरूप नही वखाएयु एवं बीजुं अने सातमुं त्रिक, तेनो अर्थ ते वली प्रकट , माटे तेनुं स्वरूप मूल गाथामां लख्यु नथी, एम जा. एवं. तथापि बालावबोधकर्तायें ते त्रिकोना अनुक्रमें संदेप अर्थ ते ते स्थानके लख्या , एटले दश त्रिकनुं ए प्रथम मूल घार थयुं अने उत्तर बोल त्रीश थया // 1 // हवे बीजुं पांच प्रकारना अनिगमर्नु छार कहे . सचित्तदव्यं-सचित्त द्रव्य | अणुजणं-अण छांडq उत्तरासंग-उत्तरासंग | सिरसि-मस्तकने उज्जणं-छांडq मणेग-मन- एकाग्रपणुं | अंजलि-वे हाथ जोडीने जिणदिठे-श्री जिनेश्वरने देखीने अचित्त-अचित इगसाडि-एकवडुं वस्त्र सचित्तदवमुजण-मचित्त मणुजणं मणेगत्तं // इगसाडिउत्तरासं-ग अंजलि सिरसि जिणदिवें // 20 // PAREVED/appeanutOfPPGD 18 // MIN Jan Education international For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org