________________ ०भा० विभा० // 16 // मुत्तामुत्ती-मुक्ताशुक्ति मुद्दा-मुद्रा जत्थ-जिहां समा-सरखा हवे त्रीजी मुक्ताशुक्तिमुखा कहे ले. दोवि-बेहु | लग्गा-लगाडीने गम्भिआ-गर्मित पुण-वली अन्ने-अन्य 'हत्या-हाथ निलाडदेसे-ललाटना मध्यमा अलग्गत्ति-अणलगाडया मुत्तासुत्तीमुद्दा, जत्थ समा दोवि गभिआ हत्था // ते पुण निलाडदेसे, लग्गा अन्ने अलग्गत्ति // 17 // PanevaaraNDare/awasaamaaaaas@a // 16 // __ शब्दार्थ-जेमा बन्ने हाथ सरखी रीते गर्मित राखी अने ते बन्ने हाथ ललाटना मध्ये लगाडवा होय ( अहिं कोई आचार्यने मते ) न लगाड्या होय तोपण मुक्ताशुक्तिमुद्रा कहेवाय छे. विस्तारार्थः-जिहां बेहुए पण हाथ ते सरखा बराबर गर्जितपणे राखी ते बे इस्त वली ललाटना देश एटले खलाटनां मध्य नागने विषे लगाम्या होय, वली अन्य एटले बीजा केटला For Personal Private Use Only