________________ चत्तारि-चार अंगुलाई-आंगळर्नु पुरओ-आगल / ऊणाई-ऊणो | पायाणं-पगना | पुण-वली ... जत्थ-जिहां उस्सग्गो-काउस्सग्ग करीये | जिणमुद्दा-जिनमुद्रा पच्छिमओ-पाछलनी पानीनी एसा-ए प्रकारे | होइ-होय SBANDauDADGoodNDEDGUDD/aavavana चत्तारि अंगुलाई, पुरओ ऊणाई जत्थ पच्छिमओ॥ पायाणं उस्सग्गो, एसा पुण होइ जिणमुद्दा // 16 // शब्दार्थ-वली जेमा पगना आगला पहोंचाने परस्पर चार आंगलनो आंतरो राखीने अने पाछली पानीनी बाजुनो कांइ ओछो आंतरो राखीने जे काउस्सग्ग करवो ए जिनमुद्रा होय छे.. विस्तारार्थः-यत्र एटले जिहां पगना जे आगलनाअंगुलिनी बाजु तरफना पहोंचाने माहोमांहे चार आंगुलनो अांतरो राख्यो होय, अने पगना पाउलनी पानीनो बाजुना नागमा माहोमांहे चार आंगुलथी कांश्क कणो आंतरो राख्यो होय. ए रीतें पग राखीने काउस्सा करीये ए प्रकारे वली जिनमुखा होय // 16 // . Paom/wamava/Parmarwanamama//MDAST Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janeiro