________________ चै०भा० ०भा० // 15 // अन्नुण्णंतरिअंगुलि-कोसागारेहिं दोहिं हत्थेहिं॥ पिट्टोवरि कुप्परि सं-ठिएहिं तह जोगमुद्दत्ति // 15 // Vapooooo/D/940avanaraswanavav शब्दार्थ-परस्पर बन्ने हाथनी दसे आंगुली अंतरित करेला कमलना डोहाना आकारवाला तेमज पेटनी उपर बन्ने कोणी भो मूकेली एवा वे हाथ करीने रहेवू. ते योगमुद्रा कहेवाय छे. // 15 // विस्तारार्थः-अन्योन्यांतरितांगुलि एटले बे हायनी दशे अंगुलिने अन्योन्य ते मांदोमादो अंतरित करी जिहां एवी अने कमलना मोमाने आकारें जोमीने कीधा एवा बे हाथे करीने, ते बेहु हाथ केवा ? तो के पेट उपरें कोणी ते संस्थित एटले रही जे जेनी एवा प्रकारें रहवे करी योगमुजा इति एटले योगमुडा एम होय. ए पहेली योगमुजार्नु स्वरूप कडुं // 15 // IS15 // हवे बीजी जिनमुखानुं लक्षण कहे . FARMethalavaneous/namasdeoparmanupamoove Jan Education international For Personal & Private Use Only www.janelby Dig