________________ NB/RB/ /aEBARAHTRAID/9500/B/am/us/as | वली नगवंतने अपगत शिरकेश, शीर्ष, श्मश्रु कूर्च रहित एवा मुख मस्तकादिक देखीने श्रमपावस्थानी नावना नाववी. ए प्रथम उद्मस्थावस्था त्रण नेदें विवरीने कही. ___ तथा किंकली, कुसुमवृष्टि अने दिव्यध्वनि प्रमुख आठ महाप्रातिहार्ये करीने एटले प्राति| हार्य युक्त लगवानने देखीने बीजी पदस्थावस्था एटले केवलीपणानी अवस्था नावीयें. ___तथा पर्यंकासने करी सहित एटले पलोंठी वाळीने बेग एवा काउस्सग्गीयाने श्राकारे वली जिननुं बिंब देखवे करीने सिद्धत्व एटले सिद्धपणानी अवस्था अर्थात् रूपातीतपणानी अवस्था प्रत्ये नाववी. केम के ? केटलाएक तीर्थंकरो पर्यंकासने काउस्सग्ग मुझायें मुक्ति गया ले माटें ज्योतिरूप अवगाहना नाववी. या गाथामा नाविक ए क्रियापद सर्वत्र संगत करवू, ए पांच अवस्थात्रिक कयं // 15 // namvidaswamstvamaAANTI/Asm/apps/EENBHANDARVaneVAN avita For Personal Private Use Only