________________ / VANDARDARD/RampCA/MARPARASIMDEV थागार जे ले ते पिंमविगयनोचे ते जणाववा माटे या गाथा कही॥॥ हवे केटलांएक पच्चखाण मांदोमांहे श्रागार तथा पाठ उच्चार विशेषे करी सरखा ले. एटले तेना आगार पण माहोमांहे सरखा बे. अने पाठ पण सरखो , ते कहे जे. पोरिसिसटुं-सार्द्ध पारिसि निविगइ-नीवितुं | अंगुठ-अंगुठ्ठ सहियं / सचित्त दवाई-सचित्त द्रव्याअबढें-अवर्नु पोरसाइसमा-पोरिसि महि-मुष्ठि सहियं दिकनुं दुभत्त-बेआसणुं __ आदि सरखा / गंही-गंठि सहियं / अभिग्गहियं-अभिग्रहनु NavBANNARO/Assadop पोरिसि सड्ढमवढं, दुभत्त निविगई पोरसाइ समा // अंगुठ्ठ मुठि, गंठी, सचित्त दवाइ भिग्गहियं // 23 // शब्दार्थ-पोरसी अने साढ पोरसी, अवढ अने पुरिमढ, एकासणुं अने बीयासणु, विगइ अने नीवि, तेमज अंगुहसहियं, मुष्टिसहियं, गहिसाहियं अने सचित्त द्रव्यादिक ए सर्व अभिग्रह पच्चख्खाण मांहो मांहे सरखां छे. // 23 // tom/LD/ES For Personal & Private Use Only www.ebay.org