________________ वभा० पमा mama/PED/DRDDemom/ama/RO/AR विस्तारार्थः-पोरिसि श्रादे देने पच्चरकाण जे , ते सरखां जाणवां, एटले एक पोरिसि अने बीजी सार्द्ध पोरिसि ए बे सरखां जाणवां एटले पोरिसी अने सार्द्ध पोरिसीना पच्चरकाणना | पाउनो उच्चार तथा आगार पण सरखा . तेमज पुरिमर ने अवमर्नु पच्चरकाण पण सरखं जा णवू, तथा एकासणुं अने छिन्नक्त एटले बीथासणानुं पच्चरकाण अने श्रागार पण सरखा जाणवा, | तथा विगश्ने नीविर्नु पच्चरकाण अने आगार पण सरखा जाणवा. तथा अंगुट्टसहियं, मुठिसहियं गंठिसहियं, सचित्त ऽव्यादिकनुं पच्चरकाण एटले सचित्त व्यादिकना पच्चरकाण जे देसावगासिक तेमज दिवसचरिमादिनां पच्चरकाण ए सर्व अनिग्रह पच्चरकाण कहेवाय, तेना पण मां. होमांदे पाठ तथा श्रागार सरखा जाणवा. परंतु कालप्रमाणादिके तथा स्थानकें तो फेरफार होयज // 23 // हवे ए सर्व आगारोना अर्थ कहे बे. विस्सरण-विस्मरण / सयमुह-पोतानी मेळे मुख / पच्छ वकाल-प्रच्छ न काल | दिसिविव जामु-दिशिना अणाभोगो-अनाभोगयी। महे | मेहाइ-मेघादि विपर्यासथी सहसागारो-सहसात्कार / पचेसो-प्रवेश करे | दिसिमोहो-दिसा मोहेणं Noteewanapateeteatraa/teatsaanemaDAAMRO/AR / / 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org