________________ दुद्ध महु मज तिलं, चउरो दवविगइ चउर पिंडदवा॥ घय गुल दहियं पिसियं, मख्खण पक्कन्न दो पिंडा॥२२॥ masmaaaaaaaNEWSawace/mosamasuaabetes ___ शब्दार्थ-दुध, मध, मद्य अने तेल ए चार द्रव्य ( ढीली) विगइ छे. वली घी, गोल, दहि अने मांसपेसी ए चार पिंड तथा द्रव्य विगइ छे. वली मांखण अने पकान ए वे तो पिंड विगइ छे. विस्तारार्थः-एक पुग्ध, बीजो मधु, त्रीजो मद्य एटले मदिरा अने चोथो तेल ए चार व विगय . ए चार ते ढीलु विगय होय रस रूप होय, माटे एने रसविगय कहीये,अने एक घृत बीजो गोल, त्रीजो दधि एटले दहीं बने चोथो मिशित ते मांस ए चार विगय जे ते पिंग अवरूप एटले पिंक तथा रसरूप जाणवी. ए चार को वेला व होय, तथा कोश् वेला पिंग रूप थीणो पिंम होय. तथा एक माखण, बीजो पक्वान्न ए बे विगय ते स्वन्नावें करीने पिंग रूप होय, कठिन होय, माटे एने पिंझविगय कहीये. ए दस विगय कया. इहां उख्खित्तविवेगेणं ए Poemaeapa/Jeesopeanupamaasee // 13 // For Personal & Private Use Only