________________ Vanama wwevanawawwapwapwapwappsaparmananeM शब्दार्थ-अन्नत्य, सहस्सा, लेवालेवेणं, गीहत्य संसणं, उखिखत विविगेगं, पडुचनख्खिएणं, पारिहा, महत्तरा, सव्वसमाहि. ए नव विगइ तथा निविगइने विषे जागवा अने तेमाथी एक पडुच्चमख्खिएगं विना आंबीलमा आठ आगार जाणवा. // 20 // - विस्तारार्थः-एक अन्नधणानोनेणं, बीजो सहसागारेणं, त्रीजो लेवालेवेणं, चोथो गिहत्य सं. सहेणं, पांचमो नख्खित्तविवेगेणं, बहो पमुच्चमख्खिएणं, सातमो पारिठ्ठावणियागारेणं, आठमो महत्तरागारेणं नवमो सवसमाहिवत्तियागारेणं, ए नव आगार ते विग तथा निविगश्ना पच्चख्खाणने विष जाणवा, तथा ए नवमांडेयी एक पमुच्चमख्खिएणं ए श्रागार विना शेष आठ श्रागार जे विगइ थने नीविना कह्या तेज आयंबिलना पच्चख्खाणने विषे जाणवा. जिहां आम्ल एटले खाटो चोथो रस तेहथी निवर्तवं ते आयंबिल कहीये, तेना त्रण प्रकार ने एक उंदन, बीजो कुस्माष, त्रीजो साथुयादिक एत्रण दे बे. अथवा उसामणनी पेरे जिहां अन्नादिक | नीरस थ निकले तेने आयंबिल कहीये // 20 // m/nayanawwamevanamaasee inin Education international For Personal & Private Use Only www.janelyg