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________________ न श्रावे, परंतु चनविहार उपवासे तथा रात्रिने चनविदारे वावरी कल्पे, ते अणादार वस्तु || हैजाणवी. तेनां नाम कहे बे... अनाहारने विषे जे करपे ते वस्तु कहे जे. लवु नीति ते गोमूत्राक्षिक अने निंबादिक ते निबनी शली पानमा प्रमुख पांचे अंग ए सर्व अनाहार वस्तु जाणवी, आदि शब्दथकी त्रिफला, का, करियातु. गलो, नाहि, धमासो, केरमामूल, बोरालि मूल, बावलबालि, कंथेर मूल, चित्रो, खयरसार, सूखा, मलयागरु, अगरु, चीम, अंबर, कस्तूरी राख, चूनो, रोहिणी वज, हलिज, पातलो, आसगंधी. कुंदरु, चोपचीनी, रिंगणी, अफिणादिक सर्व जातीनां विष, साजीखार, चूनो, जाको, उपलेट, गूगल, अतिविष, पूंयाम, एली. चूणीफल सूरोखार, टंकणखार, गोमुत्र श्रादे दश्ने सर्व जातिना अनिष्ट मूत्र, चोल, मंजीठ, कणयरमूल, कुंआर, थोहर, अर्कादिक पंचकूल, खारो, फटकमी, चिमेक इत्यादिक वस्तु सर्व अनिष्ट स्वादवान् बे, अने इछा विना जे चीज मु-।। खनां प्रदेप करीये ते सर्व अणादार जाणवी.ए उपवासमां पण लेवी सूजे, अने आयंबिल मध्ये EVARE/ABAJa/800/900s/5Vastuda naVINNIVERNVIAME/MemoivesamastetamaANDAN . . For Personal Private Use Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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