________________ था प०भा० aUDAIVEuVapp/apps/SBURGAPAN पाणहार पच्च स्काण करया पढ़ी सूजे ए श्राहारनुं त्रीजु घार थयुं, उत्तर नेद अढार प्रया॥१५॥ हवे नवकारसी प्रमुखना आगारनी संख्यानुं चोशुं कार कहे जे. दा-बे पोरिसि-पोरिसिना | इगासणे-एकासणाने विषे / चथ्यि -चोथ भक्ते नवकार-नोकारसीना सग-सात अट्ठ-आठ | पाणे-पाणस्सना पुरिमढे-पुरिमार्द्धने विषे पण-पांच दो नवकार छ पोरिसि, सग पुरिमड़े इगासणे अठ्ठ॥ सत्तेगठाण अंबिल, अठ्ठ पण चउत्थि छप्पाणे // 16 // शब्दार्थ-नवकारसीमां बे, पोरसीमा छ, पुरिमट्ठमा सात, एकासणामां आठ, एकलठाणामां सात, आंबीलमां आठ, चोय भक्तमां पांच अने पाणस्सना पच्चख्खाणमा छ आगार जाणवा // 16 // विस्तारार्थः-जे मूलगुण उत्तरगुण रूप पच्चस्काण राखवाने अर्थे वामीरूप होय ते आगार Navaia/capapnaDataADAppearesisavanayaputerwayamar // 124 // For Personal Private Only