________________ BoomavsWass खुहपसमखमेगागी, आहारिव एइ देइ वा सायं // खुहिओ वि खिवइ कुठे, जं पंकुवमतमाहारो॥१३॥ शब्दार्थ-भूखने समाववाने समर्थ एवो एकज आहार, आहारमा आवता एवा लवणादि अथवा स्वाद आपनारा हिंग विगेरे, वली जे भूख्यो छतो पण पेटमां नाखे एवो कादवना सरखो होय ते आहार कहेवायः॥ 13 // / विस्तारार्थः-प्रथम सामान्य प्रकारे थाहारनुं लक्षण कहे . जे दुधाने उपशमाववाने अर्थे | समर्थ होय एवो जे एकाकी ऽव्य होय तथा वली याहारने विषे एति एटले आवे एवा लवण हिंग्वादिक, वली जे आहारमांहे स्वाद प्रत्ये आपे ते, वली जे पंकोपम एटले कादवनी पेरे असार होय कादवनी उपमा धारण करे एवं कादव सरखं अव्य होय परंतु कुधितो एटले कुधित थको कोगमा उदरमा दिपति एटले देपवे ने तो ते सर्व आहार जाणवो // 13 // हवे ए श्राहारना मूल चार नेद , ते कहे . vasaetaassaaseemaDecemAJPG/98060/4 samvaaWARNavavasarape For Personal & Private Use Only