________________ प०भा० प०भा० // 12 // DDDDDI08.258090amavama/ असणे-अशन मुग्ग-मगादिक... | ओयण-मोदन, भात सत्तु-साधुओ. . मंड-मांडा विगेरे कंदाइ-कंदादिक पय-ध विगेरे ... पाणे-पानने विषे. | खज्ज-खाजा पकवान विगेरे | कंजिय-कांजीनुं | रब्ब-राबडी जव-यवर्नु कयर-केरनु कवडोदग-काकडी विगेरेनुं पाणी ' मुराइजलं-मदिरादिकनुं पाणी | असणे मुग्गोयणस-त्तु मंड पय खज्ज रब्ब कंदाइ॥ पाणे कंजिय जय कयर, कक्कडोदग सुराइजलं // 14 // MamaaaaaaaaaaaNESEDIOmeenwermewanapa *. शब्दार्थ-अशनमा मग, भात, सत्यु, मांडा, दुध, खाजु, राव अने कंद विगेरे जागवा. तेमज पानमां कांजीन, जवर्नु, केरनुं अने काकडीनुं धोवग तथा मदिरानुं जल जाणQ. // 14 // विस्तारार्थः-तिहां एक अशन ते, आशु एटले शीघ्र जे दुधाने उपशमावी नाखे तेने अ |शन कहीये, तेने विषे मगादि सर्व कठोल जाति जाणवी. तथा उंदन ते चावल नात प्रमुख सर्व नंदन जाति जाणवी. तथा साथुठे मामा, रोटली, पक्कान, रोटला पूमा प्रमुख. दूध, दही, घत, 121 // /AMVADMAVAawa/NDED erapan Jain Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org