________________ te/AMBARAGenet/30/AADIV/AIDMAAVAVIINDIANS/IN जाणवी, तेना अन्नावे वराटके एटले त्रण खींटीना कोमानी स्थापना करवी, अथवा काष्ठ मांमा मांमी प्रमुख चंदनादिकनी पाटी आदिकनी स्थापना करवी, पुस्तकनी स्थापना करवी, वली तेना अनावें चित्रकर्म ते गुरुनी मूर्तिनां चित्राम आलेख, अथवा गुरुनी काष्ठनी प्रतिमा ए पाठ श्री अनुयोगहार सूत्रथी लखीयें यें, " से किंतं ठवणाणुण्णा जणं वा अरके वा वरामए वा कहकम्मे वा पोचकम्मे वा लेपकम्मे वा चित्तकम्मे वा गंथिकम्मे वा वेढिकम्मे वा पूरिकम्मे वा संघातिकम्मे वा एगे अणेगे वा समान वा असताउ वा ग्वणा विऊत्ति // एवी रीतें गुरुनी स्थापना करवी. ते बे प्रकारे जाणवी ते कहे . एक सद्नावस्थापना अने बीजी असद्नाव स्थापना तिहां गुरुनी मूर्ति तथा प्रतिमादिकनी श्राकार सहित जे स्थापना ते सन्नाव स्थापना जाणवी, श्रने आकार विना अदादिकनी जे स्थापना करवी ते असनाव स्थापना जाणवी, वली गुरुनी स्थापना ते एक श्वर अने बीजी यावत् कथिका तेमां श्वर ते थोमा काल लगें स्थापना रहे, जेम नोकरवाली अने पुस्तकादिकनी जे स्थापना , ते स्थापना क्रिया करवाने वखतें थापे , माटें VAMInteATRAINS/RATORAGidateJAGRAMMARIVAR/I /क For Personal Private Use Only