________________ २०भा० गु.भा. PGADAadpavita/VaJitensis/angavatpAGVARVANGYAN विषे जे गुरुबुद्धि आणवी तेने अत्यंत आकरुं लोकोत्तर मिथ्यात्व कडं . // 27 // अख्खे-अक्ष कहे-काष्ट | चित्तकम्मे-चित्रकर्म गुरुठवणा-गुरुना स्थापना वराडए-वराटके पुथ्ये-पुस्तक सभ्भावं-सद्भाव इत्तर-इत्वर वा-अथवा अ-वलो | असम्भावं-असद्भाव / जावकहा-यावत् कथिका अख्खे वराडए वा, कढ़े पुत्थे अचित्तकम्मे अ॥ सप्भावमसम्भावं गुरुठवणा इत्तरावकहा // 29 // ___ शब्दार्थ-अक्ष, ( स्थापनाचार्य ) कोडा, डांडा, पुस्तक अथवा गुरुमूर्तिनी स्थापना करवी. स्थापना बे प्रकारनी छे. एक सद्भाव अने बीजी असद्भाव. गुरुस्थापना पण बे भेदे छे. तेमां एक इत्वर एटले पुस्तक आदि थोडा कालनी अने बीजी यावत्कथिका एटले मूर्ति विगेरे बहुकालनी. // 29 // विस्तारार्थः-अदादिक ते कया? ते कहे जे, एक अद ते चंदन प्रसिद्ध मालानी स्थापना Upsc/stroGAAMRAPRADAprivatemeanormom/ / / 92 Tin Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org