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________________ Swaraamareteenetseiticitate/A/AROVANVAROVARSAMrin | दिके करी धीगे थको स्तब्धपणुं राखतो वांदे, अथवा अन्य लावादिक चउन्नंगीये करी स्तब्ध थको वांदे ते बीजो स्तब्ध दोष. तथा जे वांदणां बापतो नामुतनी पेरे तुरत नासे, अथवा वां-| दणां देतो अरहो परहो फरे ते त्रीजो अपविद्ध दोष. तथा जे घणा साधु प्रत्ये एकज वांदणे | वांदे अथवा आवर्त्त, व्यंजन, अने आलाप ए सर्व एका करे, ते चोथो परिपिमित दोष वली जे तीमनी पेरे उबलतो एटले उपमी उपमी विसंष्टुल वांदे, ते पांचमो ढोलगति दोष. तथा जे | अंकुशनी पेरे रजोहरणने बे हाथे ग्रहीने वांदे ते हो अंकुश दोष. तथा जे काचवानीपेरे रिंगतो | रिंगतो वांदे, ते सातमो कबनरिंगीत दोष. तथा जे उन्नो थर बेसीने जलमांदेला माउलानीपरे एकने वांदीने उतावलो बपी फरी बीजाने वांदे, अथवा पाठ प्रबन्न करे अथवा रेचकावर्ते अनुलोम प्रतिलोम वांदे, ते आठमो मत्स्योछर्त दोष. तथा कोइ साधु पोताथी एकादे गुणे हीन होय | ते दोषने मनमां चिंतवतो ईर्ष्या सहित थको वांदे, ते नवमो मनःप्रमुष्ट दोष जाणवो // 23 // wwANVIViralega/AAMR/itme/a/Ram avaVAMVAR / sain toucation international For Personal Private Use Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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